कोविड-19 से होने वाली दिल की बीमारी की संख्या क्यों बढ़ती जा रही है?
सेहतराग टीम
कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं जो सभी देशों के लिए काफी चुनौती भरा दिखाई दे रहा है। हालांकि सभी जगह इसको रोकने के लिए वैक्सीन की खोज की जा रही है लेकिन अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली है। यह वायरस शरीर के अलग-अलग अंगों को नुकसान पहुंचा रहा है जो लोग इस वायरस से बच गए हैं उनमें ऐसे लक्षण दिख रहे हैं जो काफी हैरानी वाले हैं। लोगों को ये लक्षण डरा रहे हैं। जी हां ठीक हुए मरीजों को दिल के रोगी होने का डर है। यह वायरस लोगों के दिल पर भी अटैक कर रहा है।
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एक शोध के अनुसार, 78 प्रतिशत मरीज़ ठीक होने के बाद दिल से जुड़ी तकलीफों के लिए दोबारा अस्पताल आते हैं। नए प्रमाण बताते हैं कि हृदय संबंधी समस्याएं संक्रमण के शुरुआती दिनों में भी हो सकती हैं, यहां तक कि उन लोगों को भी जिनमें इस बीमारी के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
सांस की तकलीफ, हृदय संबंधी परेशानियां, मांसपेशियों में ब्रेकडाउन और सूजन (मायोकार्डिटिस), जैसी दिल से जुड़ी कई परेशानियां हो सकती हैं, तब भी जब आपको दिल से जुड़ी समस्याएं पहले कभी नहीं हुईं। जो लोग पहले से दिल की बीमारी पीड़ित हैं, उनमें कोरोना वायरस गंभीर रूप ले लेता है, यहां तक कि मौत भी हो सकती है।
कोविड-19 से होने वाली दिल की बीमारी की संख्या क्यों बढ़ती जा रही है?
एक्सपर्ट ने बताया कि कोरोना वायरस एक इंसान को हल्के से लेकर गंभीर रूप से बीमार कर सकता है लेकिन ये उम्र और सेहत पर निर्भर करता है। ये उन लोगों के लिए ज़्यादा घातक हो जाता है, जो पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं। कोरोना वायरस के इफेक्ट्स पर आज भी शोध चल रहा है, लेकिन ये साफ है कि ये बीमारी शरीर के अहम अंगों को प्रभावित करती है, जिसमें से एक दिल भी है।
डॉक्टरों ने चेताया है कि ये दिल को कई तरह से प्रभावित कर सकती है। इससे दिल का वायरल संक्रमण हो सकता है। दो बीमारियां जो आमतौर पर कोरोना के मरीज़ों में देखी जा रही हैं, वे हैं दिल का दौरा और हार्ट अरिथीमिया। फेफड़ों पर अत्याधिक दबाव के कारण दिल का दौरा पड़ सकता है या फिर दिल में सूजन आ सकती है, जिसे मयोकार्डिटिस कहते हैं। बुज़ुर्ग मरीज़ों में पहले दिल की बीमारी के कारण दिल का दौरा पड़ सकता है। वहीं, नौजवानों में कोविड-19 के कारण मयोकार्डिटिस हो सकता है।
एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लामेटरी जैसी प्रायोगिक दवाएं भी हैं कारण
एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लामेटरी जैसी प्रायोगिक दवाएं जिनका उपयोग मरीज़ को स्वस्थ करने के लिए किया जा रहा है, वे भी दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ा सकती हैं।
इन लक्षणों पर दें ध्यान
- सांस से जुड़े लक्षणों को पहचानना आसान है, लेकिन डॉ. त्रेहन के मुताबिक दिल से जुड़े इन लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए और इन पर भी ध्यान देना ज़रूर है।
- सांस लेने में तकलीफ
- सीने में लगातार दर्द या दबाव महसूस होना
- भ्रम या भटकाव महसूस होना
- होठों या चेहरे का नीला पड़ना
- शरीर में आक्सीजन की मात्रा कम हो जाना
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